जब कुछ नहीं रहा पास तो रख ली तन्हाई संभाल कर मैंने, दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो…” वो महफ़िल में तन्हा-तन्हा चिल्ला रहे थे। बहुत डराती हैं तुम्हारी यादें मुझे अकेले में। “माना कि तन्हा हूँ, पर ये भी हकीकत https://youtu.be/Lug0ffByUck