वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं । ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥ हनुमान गायत्री मंत्र का अर्थ और महत्व जन के काज विलम्ब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै। That means: – The abode of Atul Bal, the one particular by https://free-kundali89888.blogscribble.com/32861946/considerations-to-know-about-bajrang-baan